प्रतिभा और सपने
*दोनों का महत्व--*
प्रतिभा उम्र और स्तिथियों की मोहताज नहीं होती लेकिन सपने हालातो को झेलकर देखे हैं ।
प्रतिभा कभी भी चमक सकती है लेकिन सपनों को पूरा करने का एक नियत समय होता है।
प्रतिभा जन्मजात होती है लेकिन सपनों दुनिया को देखने के बाद आते हैं ।
हमने *थामस अल्वा एडिशन* को पढ़ा तो वैज्ञानिक बनने का मन करता है।
हमने *लाल बहादुर शास्त्री* को पढ़ा तो प्रधानमंत्री बनने का मन करता है ।
हमने *सरदार भगत सिंह* को पढ़ा तो क्रांतिकारी बनने का मन करता है।
हमने *सचिन तेंदुलकर* को पढ़ लिया तो क्रिकेटर बनने का मन करता है ।
हमने *धीरू भाई अंबानी* को पढ़ लिया तो बिजनेसमैन बनने का मन करता है ।
*अमिताभ बच्चन* को पढ़ लिया तो अभिनेता बनने का सपना आताहै।
*एपीजे ए कलाम* को पढ़ लिया तो राष्ट्रपति का मन करता है ।
*निराला और दिनकर* को पढ़ लिया तो कवि या साहित्यकार बनने का और *गाँधी को पढ़ लिया तो अहिंसा* के संग पूरे देश में क्रांति करने खा सपना पाल बैठते हैं ।
टी टी की नौकरी करने वाले *एमएस धौनी* सेना में कर्नल बनना चाहते थे(क्रिकेटर)
*शाहरुख खान* बिजनेसमेन बनना चाहते थें (अभिनेता)
*विराट कोहली* बैंक में नौकरी करना चाहता थे।
*उमेश यादव* पुलिस में भर्ती होना चाहते थे।
*महात्मा गांधी* वकील बनकर नाम कमाना चाहते थे (अहिंसक आंदोलन के प्रणेता)
*राजीव गांधी* पायलट बनना चाहते थे (प्रधानमंत्री)
*गुरप्रीत सिंह* आस्ट्रेलिया में नौकरी करना चाहता था (तेज गेंदबाज, आस्ट्रेलिया)
*डोनाल्ड ट्रंप* बिजनेसमेन या wwe में जाना चाहते थे।(अमेरिका के राष्ट्रपति)
*बगदादी* इंजीनियर था (आतंकी संगठन का प्रमुख)
*ड्वेन जानसन* रेसलर थे (सब से अमीर हालीवुड अभिनेता)
इन सबने सपनों को पूरा किया फिर प्रतिभा पर काम किया।
अतः *सपने वक्त और अनुभव के आधार पर* बदलते रहते हैं मगर *प्रतिभा सदा एक* ही रहती है और वह कभी भी सामने आ सकती है।
धन्यवाद!
डॉ. रेखा वैष्णव
*दोनों का महत्व--*
प्रतिभा उम्र और स्तिथियों की मोहताज नहीं होती लेकिन सपने हालातो को झेलकर देखे हैं ।
प्रतिभा कभी भी चमक सकती है लेकिन सपनों को पूरा करने का एक नियत समय होता है।
प्रतिभा जन्मजात होती है लेकिन सपनों दुनिया को देखने के बाद आते हैं ।
हमने *थामस अल्वा एडिशन* को पढ़ा तो वैज्ञानिक बनने का मन करता है।
हमने *लाल बहादुर शास्त्री* को पढ़ा तो प्रधानमंत्री बनने का मन करता है ।
हमने *सरदार भगत सिंह* को पढ़ा तो क्रांतिकारी बनने का मन करता है।
हमने *सचिन तेंदुलकर* को पढ़ लिया तो क्रिकेटर बनने का मन करता है ।
हमने *धीरू भाई अंबानी* को पढ़ लिया तो बिजनेसमैन बनने का मन करता है ।
*अमिताभ बच्चन* को पढ़ लिया तो अभिनेता बनने का सपना आताहै।
*एपीजे ए कलाम* को पढ़ लिया तो राष्ट्रपति का मन करता है ।
*निराला और दिनकर* को पढ़ लिया तो कवि या साहित्यकार बनने का और *गाँधी को पढ़ लिया तो अहिंसा* के संग पूरे देश में क्रांति करने खा सपना पाल बैठते हैं ।
टी टी की नौकरी करने वाले *एमएस धौनी* सेना में कर्नल बनना चाहते थे(क्रिकेटर)
*शाहरुख खान* बिजनेसमेन बनना चाहते थें (अभिनेता)
*विराट कोहली* बैंक में नौकरी करना चाहता थे।
*उमेश यादव* पुलिस में भर्ती होना चाहते थे।
*महात्मा गांधी* वकील बनकर नाम कमाना चाहते थे (अहिंसक आंदोलन के प्रणेता)
*राजीव गांधी* पायलट बनना चाहते थे (प्रधानमंत्री)
*गुरप्रीत सिंह* आस्ट्रेलिया में नौकरी करना चाहता था (तेज गेंदबाज, आस्ट्रेलिया)
*डोनाल्ड ट्रंप* बिजनेसमेन या wwe में जाना चाहते थे।(अमेरिका के राष्ट्रपति)
*बगदादी* इंजीनियर था (आतंकी संगठन का प्रमुख)
*ड्वेन जानसन* रेसलर थे (सब से अमीर हालीवुड अभिनेता)
इन सबने सपनों को पूरा किया फिर प्रतिभा पर काम किया।
अतः *सपने वक्त और अनुभव के आधार पर* बदलते रहते हैं मगर *प्रतिभा सदा एक* ही रहती है और वह कभी भी सामने आ सकती है।
धन्यवाद!
डॉ. रेखा वैष्णव